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Aaj Ka Itihas; Today History 12 July | Mahatma Gandhi Assassination And Rashtriya Swayamsevak Sangh Banned Connection
आज का इतिहास:गांधी जी की हत्या के 5 दिन बाद लगा था RSS पर बैन, ठोस सबूत नहीं मिलने पर 16 महीने बाद सरकार को बदलना पड़ा था फैसला
12 घंटे पहले
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30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। नाथूराम गोडसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का सदस्य रहा था। गांधी जी की हत्या के बाद आरएसएस प्रमुख गोलवलकर को गिरफ्तार कर लिया गया। 4 फरवरी 1948 को आरएसएस पर बैन लगा दिया गया।
कहा गया कि अपने आदर्शों के विपरीत जाते हुए आरएसएस ने अवैध हथियार इकट्ठे किए और हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया। हालांकि, महात्मा गांधी की हत्या और संघ पर प्रतिबंध लगाए जाने के करीब महीने भर बाद गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नेहरू को 27 फरवरी 1948 को एक चिट्ठी लिखी थी।
इस चिट्ठी में पटेल ने लिखा कि संघ का गांधी जी की हत्या में सीधा हाथ तो नहीं है, लेकिन ये जरूर है कि गांधी जी की हत्या का ये लोग जश्न मना रहे थे। पटेल के मुताबिक गांधी जी की हत्या में हिंदू महासभा के एक गुट का हाथ था। कुछ महीनों बाद गोलवलकर को रिहा कर दिया गया, लेकिन आरएसएस पर बैन अब भी लगा हुआ था।
आरएसएस पर से बैन हटाने के लिए गोलवलकर ने नेहरू को पत्र लिखा, जिसका जवाब देते हुए नेहरू ने कहा कि ये पूरा मामला गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के जिम्मे है। गोलवलकर, सरदार पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नेहरू के बीच इस बारे में कई बार पत्राचार हुआ।
10 नवंबर को नेहरू ने गोलवलकर को एक पत्र लिख कहा कि सरकार के पास आरएसएस के खिलाफ कई सबूत हैं, इस वजह से बैन नहीं हटाया जा सकता। गोलवलकर ने खत का जवाब देते हुए लिखा कि अगर सरकार के पास आरएसएस के खिलाफ सबूत हैं तो इसे सार्वजनिक किया जाए।
13 नवंबर को गृह मंत्रालय ने आरएसएस पर से बैन हटाने से इनकार कर दिया और गोलवलकर को दिल्ली छोड़ने को कहा गया। गोलवलकर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के खिलाफ आरएसएस के लोगों ने सत्याग्रह किया।
अभी तक सरकार के पास आरएसएस के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं था। यही वजह थी कि सरकार इस मामले में धीरे-धीरे बैकफुट पर जा रही थी। आखिरकार आज ही के दिन 1949 में सरकार ने कुछ शर्तों के साथ आरएसएस पर से बैन हटा दिया।
इन शर्तों के मुताबिक आरएसएस को अपना संविधान बनाना होगा और अपने संगठन सदस्यों के चुनाव करवाए जाएंगे। साथ ही आरएसएस किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेगा और खुद को सांस्कृतिक गतिविधियों तक सीमित रखेगा।
प्रतिबंध हटने के बाद आरएसएस ने सीधे तौर पर तो राजनीति में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ नाम की पार्टी बनाने में सहयोग किया। 1980 में जनसंघ के लोगों ने ही बीजेपी का गठन किया।
1961: पुणे में बांध टूटने से लगभग हजार लोगों की मौत
1961 में आज ही के दिन भारी बारिश से नए-नए बने तानाजी सागर डैम की दीवार टूट गई थी। इससे डैम का सारा पानी पुणे शहर में घुस गया था। हादसे में कितने लोग मरे इसका सटीक आंकड़ा आज तक पता नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक इस हादसे में कम से कम हजार लोग मारे गए थे और लाखों लोग बेघर हुए थे।
दरअसल आजादी के बाद से ही खाद्यान्न कमी को दूर करने के लिए पूरे भारत में नए-नए डैम बनाए जा रहे थे। इसी कड़ी में पुणे से करीब 50 किलोमीटर दूर अंबी नदी पर भी डैम बनाने का काम चालू था। 1961 में डैम बनकर तैयार हुआ था और इसी साल डैम में सिंचाई के लिए पानी इकट्ठा करने का फैसला लिया गया था।
बाढ़ से शहर की मुख्य सड़कों पर भी पानी भर गया था।
12 जुलाई को भारी बारिश की वजह से डैम पूरा भर चुका था और डैम की दीवार में एक बड़ी दरार आ गई थी। आनन-फानन में सेना को बुलाया गया और सेना के जवानों ने हजारों रेत की बोरियों को जमाकर बांध को टूटने से बचाने का प्रयास किया लेकिन भारी बारिश की वजह से बांध की दीवार को बचाया नहीं जा सका।
दीवार टूट गई और बांध का सारा पानी पुणे शहर में घुस गया। लोग घर बार छोड़ ऊंची जगहों पर भागने लगे। सड़कों पर नाव दौड़ने लगी। रात होते-होते शहर में बाढ़ का पानी कम तो हुआ लेकिन शहर का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो चुका था। लगभग एक हजार लोग मारे गए और हजारों घरों को नुकसान हुआ।
महीनों तक पुनर्स्थापन कार्य चलता रहा। कहा जाता है कि सेना के जवानों ने कुछ घंटों तक बांध की दीवार को टूटने से बचाए रखा इस वजह से लोगों को रेस्क्यू करने का मौका मिल गया और कम लोगों की जानें गईं। वरना नुकसान ज्यादा हो सकता था।
1906: दक्षिणी गोलार्ध में भेजा गया था पहला टेलीग्राफ मैसेज
आज ही के दिन 1906 में करीब 300 किलोमीटर दूर टेलीग्राफ मैसेज भेजा गया था। तस्मानिया के गवर्नर गेराल्ड स्ट्रीकलैंड ने विक्टोरिया के गवर्नर नॉर्थकोट तक मोर्स कोड के जरिए इस मैसेज को भेजा था। दक्षिणी गोलार्ध में मार्कोनी के बनाए टेलीग्राफ यंत्र के जरिए इतनी दूरी तक भेजा जाने वाला ये पहला मैसेज था।
अपने बनाए टेलीग्राफ के साथ मार्कोनी।
कहा जाता है कि उस समय ये इतना बड़ा कारनामा था कि जब मैसेज विक्टोरिया पहुंचा तो वहां धूमधाम से इस पल को एक उत्सव की तरह सेलिब्रेट किया गया। दिनभर दुकानें बंद रही और लोग सड़कों पर उतरकर नाचने लगे।
12 जुलाई के दिन को इतिहास में और किन-किन घटनाओं की वजह से याद किया जाता है...
2013: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मलाला यूसुफजई ने यूनाइटेड नेशंस को संबोधित किया। आज मलाला का जन्मदिन भी है।
1982: नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) की स्थापना हुई।
1970: अलकनंदा नदी में आई भीषण बाढ़ ने 600 लोगों की जान ली।
1960: भागलपुर और रांची यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई।
1962: ब्रिटिश रॉक बैंड रोलिंग स्टोन ने लंदन के एक क्लब में पहली बार परफॉर्म किया।
1862: अमेरिकी सेना ने युद्ध में सैनिकों की वीरता को पुरस्कृत करने के लिए ‘द मेडल ऑफ ऑनर’ की शुरुआत की।
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